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होश न हो तो जिंदगी ऐसे ही चूक जाती हैं।

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हेलो दोस्तों,

आशा करता हूँ आप लोग ठीक होंगे। आज मै आप लोगो के लिए एक नयी कहानी ले के आया हूँ। उम्मीद है ये आपको बहुत पसंद आएगी।

सम्राट विक्रमादित्य के दरबार में एक फ़कीर आया, सुबह का वक्त था, रिवाज के अनुसार रोज सुबह सुबह लोग भेट चढाने आते थे। उस फ़कीर ने भी जंगली सा दिखने वाला एक फल सम्राट को भेट किया। सम्राट थोड़ा मुस्कुराया भी। और मन में बुदबुदाया, ” इस फल को भेट करने के लिए इतने दूर से आने की जरूरत क्या थी? लेकिन फ़कीर है, फ़कीर के पास कुछ और हो भी तो नहीं सकता ! ” तो उसे स्वीकार कर लिया। और पास में खड़े वजीर को जो भी भेट आती थी सब देते जाता था। इसी क्रम में 10 साल निकल गए फ़कीर रोज सुबह आता और सम्राट को एक फल देता और चला जाता।
सम्राट ने कभी विचार भी नहीं किया की, ये जंगली सा दिखने वाला फल क्या है? कभी उस फ़कीर से भी पूछने जैसा कुछ नहीं लगा !

एक दिन सम्राट का पला हुआ बन्दर भी पास में बैठा हुआ था। सम्राट ने फल वजीर को न देकर अपने पाले हुए बन्दर को दे दिए और बन्दर ने फल खाया और अपने मुख से एक बहुत बड़ा हीरा जो फल में छिपा था, उगला जो जमीन पर गिर गया। सम्राट चौक गया, इतना बड़ा हीरा तो उसने देखा भी नहीं था। सम्राट की नजर उस हीरे पर पड़ी और उसने देखा की यह बहुत कीमती हीरा था जो कही नहीं मिल सकता था। उसने तुरंत वजीर से पूछा की बाकि के फल कहाँ हैं?

वजीर भी सोचा ये जंगली फल हैं, लेकिन राजाओ के पास सम्हल कर रहना पड़ता हैं। इसीलिए वो भी उस फल को राज महल के एक बड़े से कटघरे में डालता चला गया, राजा के आदेश पर जब चेक किया गया तो सब फल सड़ चुके थे। लेकिन उन फलों के बीच में हीरे चमक रहे थे। और उसे साफ़ कराया गया फिर उसमे से जो मिला वह उस राजा को मालामाल कर दिया।

सम्राट ने फ़कीर से पूछा, ” तुम क्या चाहते हो? किसलिए तुम ये 10 साल से भेट ला रहे हो? मै कितना अज्ञानी कभी देखा भी नहीं ये सोचकर की जाने दो जंगली फल हैं! उस फ़कीर ने कहा-

होश न हो तो जिंदगी ऐसे ही चूक जाती हैं!

रोज ही जिंदगी लाती हैं लेकिन तुम जंगली फल समझकर फेक देते हो, और हर फल के बीच हीरा छिपा हैं जैसा तुमने कभी देखा ही नहीं !

खैर जो हुआ सो हुआ, अब पीछे की तरफ मत जाओ, वर्ना फिर तुम चूक जाओगे। और आगे की तरफ भी मत दौड़ो, क्यों की मै देख रहा हूँ सपने दौड़ रहे हैं। इन हीरो से तुम बहुत बड़े सम्राट बन गए हो, मै तुमसे कुछ कह रहा हूँ सुन लो। सम्राट सजग हो कर बैठ गया और सोचा ये फ़कीर सा दिखने वाला कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। जिंदगी कोई साधारण नहीं हैं, और जिंदगी ने जो कुछ तुम्हे दिया हैं वो बिलकुल असाधारण हैं लेकिन तुम्हे होश नहीं है।

दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है, की जिंदगी में कभी कभी हम कुछ चीजों पर ध्यान नहीं देते हैं जिससे हम बहुत अमूल्य चीज भी हम अपने जीवन में खो देते हैं। हमें जीवन में जो कुछ भी प्रकृति देती है उसे स्वीकार करना चाहिए। और उसे इंजॉय करना चाहिए न की शिकायत करें। शायद वो हमारे लिए ज्यादा जरूरी हो।

पॉजिटिव सोच की शक्ति से कैसे जिंदगी बदल गयी!

धन्यवाद्।।

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