हिंदी दुनिया

“कोई अर्थ नहीं ” राष्ट्र कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता ।

नित जीवन के संघर्षो से,
जब टूट चूका हो अंतर मन।
तब सुख के मिले समंदर का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।