“कोई अर्थ नहीं ” राष्ट्र कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता ।
नित जीवन के संघर्षो से,
जब टूट चूका हो अंतर मन।
तब सुख के मिले समंदर का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
नित जीवन के संघर्षो से,
जब टूट चूका हो अंतर मन।
तब सुख के मिले समंदर का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
हमारे हिन्दू धर्म में बहुत सारे देवी – देवता है। भगवान श्री गणेश उनमे बहुत ही माने जाते है। श्री गणेश जी की कहानियाँ और उनके विषय में बच्चे जानना बहुत पसंद करते है।
देने वाले ने दिया वह भी दिया किस शान से।
मेरा है यह लेने वाला कह उठा अभिमान से।।
जब उचित मार्ग से जनता हट जाती है।
और न्याय नीति की महिमा घट जाती है।।
मर्यादा जब सब उलट पलट जाती है।
जब सत्य सनातन की जड़ कट जाती है।।
कर्तब्य भ्रष्ट संसार जभी होता है।
अर्जुन मेरा अवतार तभी होता है।।
हमें ऐसा प्रभु दो ग्यान, ग्यान सु ग्यान मिले!
हम करे सभी का सम्मान, हमे सम्मान मिले!
ये जग भी सो रहा है और सो रही है बस्ती।
और सो रहा है नाविक अब डूबती है कस्ती।।
वो गौतम ज्ञानी, धन्य हो गौतम ज्ञानी ।
जन्म मरण का तुमने भेद लिया जानी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-2
दोस्त आज हम आपको 19वीं शताब्दी की कुछ बाते जो हमारे जीवन में होती थी जो अब हमारे जीवन में सिर्फ एक यद् के रूप में ही रह जाएँगी।
सुदर्शन फ़कीर जी ने लिखा है :- ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी |
पेडों से पेड़ की जब, डाली उतारते हैं!
ऐसा लगता है ,जैसे किसी सौन्दर्य….
सच हैं विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | …………