दोस्त आज हम आपको 19वीं शताब्दी की कुछ बाते जो हमारे जीवन में होती थी जो अब हमारे जीवन में सिर्फ एक यद् के रूप में ही रह जाएँगी।
सुदर्शन फ़कीर जी ने लिखा है :-
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
जो वक्त बीत गया अब वो आने वाला नहीं है, हम उसे अब सिर्फ यादो में पा सकते हैं।
पुराने समय में हम बारिश के बाद तालाब और गड्ढो में जमा हुए पानी में कागज की नाव बनाकर तैराते थे।
वो भी क्या दिन थे जब हम भी अमीर हुआ करते थे, हमारे पास भी जहाज हुआ करता था।
ये जवानी कहाँ लेकर आ गयी बहुत सारी जिम्मेदारियों से दबा दिया।
अब तो बस कंडक्टर जैसी हो गयी हैं जिंदगी। सफर रोज का हैं, जाना कही नहीं है।
पहले बचपन में सभी दोस्तों के साथ अनेकों प्रकार के खेल खेलते थे, कोई भी दिल में छल कपट नहीं था।
आज कल की जनरेशन को तो इंटरनेट मोबाइल गेमिंग से फुर्सत ही नहीं हैं।
और यही कारण हैं, हम नए उम्र के बच्चों में भी पुराने उम्र के लोगो वाला रोग लग रहा हैं।
आजकल के बच्चों का तो बचपन में कई बार प्यार मोहब्बत में दिल टूट रहा हैं,
खेलों के प्रकार –
पहले के ज़माने में बहुत सरे खेल होते थे, और यह मौसम के हिसाब से चलते थे।
जैसे: – कबड्डी, कुस्ती, खोखो, बाघ बकरी,
सोने के सुतरी, कंपा कोला, छुपा छुपाई,
लखनी, गुल्ली डंडा, दौड़, चिकई, बित्तो,
कंचा, कितकित्ता, गोटी, इत्यादि।
क्रिकेट और हॉकी तो आज के भी आधुनिक खेल हैं।
इन खेलो में भी सभी खेलों के बहुत सारे प्रकार हैं और कौन सा खेल किस मौसम में खेला जाता था सबका अलग अलग महत्व हैं।
अगर आप सभी खेलों के बारे के विस्तार से जानना चाहते हैं तो कृपया कमेंट कर के बताएं। हम उसे भी बहुत जल्द ही पोस्ट करेंगे।
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