शनि देव को सरसों का तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है?

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हेलो दोस्तों,
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित किया गया है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है. ऐसा मानते हैं कि शनिदेव मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार उचित फल देते हैं।

शनिदेव यदि किसी पर प्रसन्न हों तो उनकी जिंदगी भी बदल सकते हैं, लेकिन यदि वे किसी व्यक्ति पर कुपित हो जाए तो उस व्यक्ति को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता। इन्हीं कारणों से शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग अनेकों प्रयास करते हैं. इन्हीं सभी प्रयासों में से एक है शनिवार के दिन शनि देव के लिए किया जाने वाला उपाय –

ज्यादातर लोग शनिवार को शनि मंदिर में सरसों का तेल अर्पित करते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों शनिदेव को सरसों का तेल ही अर्पित किया जाता है.

शनि की ढैया और साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने के लिए
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव को सरसों का तेल शनिवार के दिन चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से तो मुक्ति मिलती है. साथ ही कुंडली में शनि दोष भी कम होता है. ऐसा भी मानते हैं कि शनिदेव की प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाने से व्यक्ति को शुभता प्राप्त होती है.

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पौराणिक कहानियों के अनुसार रामायण काल में लंकापति रावण ने अपनी शक्तियों के बल पर शनिदेव को अपने महल में बांध कर रखा था। माता सीता के हरण के बाद जब प्रभु राम के कहने पर हनुमान जी उन्हें ढूंढते हुए लंका पहुंचे तो वहां उन्होंने शनिदेव को रावण की कैद में देखा. शनि देव के आग्रह पर हनुमान जी ने रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त किया और उछाल कर लंका से बहुत दूर फेंक दिया।

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हनुमान जी की पूजा से शनिदेव कैसे खुश होते हैं ?
हनुमान जी ने शनिदेव को इस तरह दूर फेंकने से शनिदेव को काफी चोटें आईं थी. ऐसे में उन्हें राहत देने के लिए हनुमान जी ने उनके घावों पर सरसों का तेल लगाया. ऐसा करने से उन्हें दर्द में काफी आराम मिला और शनिदेव बजरंगबली से प्रसन्न हुए, उन्होंने संकट मोचन हनुमान को संकटहर्ता की उपाधि देते हुए वरदान दिया कि भविष्य में जो भी भक्त आपका भक्त होगा उसपर मेरी भी कृपा बनी रहेगी। और जो भी भक्त मुझे सरसों का तेल अर्पित करेगा उसके ऊपर मेरी कृपा हमेशा बनी रहेगी. तब से लेकर आज तक शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित किया जाता है।

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