एक बार की बात है प्राचीन समय में चीन में तीन भिच्छु रहते थे। आज उनका नाम तो किसी को याद नहीं है, क्युकी उन्होंने कभी किसी के सामने अपने नाम का खुलासा ही नहीं किया।
चीन में वे तीन हस्ते हुए भिच्छु के नाम से जाने जाते थे।वे हमेशा एक साथ यात्रा करते थे। वे सिर्फ हसने के अलावा कुछ भी नहीं करते थे।
वे एक नगर में प्रवेश किये और नगर के बीचो बीच चौराहे पर जाकर हसना सुरु कर दिए ।
                  धीरे- धीरे ही सही लेकिन जो लोग वहां रहते थे या काम करते थे या वहां से गुजरते थे खुद को भी हसने से रोक नहीं पा रहे थे।
धीरे लोगो की हँसी भीड़ में बदलती गयी और देखते ही देखते पूरे गांव और नगर में फ़ैल गयी। उसी समय वे तीनो वृद्ध भिच्छु अगले किसी दूसरे गांव में चले गए। उनकी हंसी ही उनकी प्रार्थना और उनकी सीख थी,क्यों की वे कभी भी किसी से बात नहीं करते थे। उन्होंने ऐसा माहौल बनाया, कि पूरे चीन के लोग उन्हें चाहने लगे। सभी लोग उन्हें बहुत प्यार करते थे, क्युकी उन्हें कभी जीवन में पहले या बाद में कभी भी ऐसा आध्यात्मिक शिक्षक नहीं मिला।
उनका हसते हुए संवाद ये दिखाता कि, जीवन में केवल हंसने को एक महान अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए। ऐसे हसते थे मानो उन्होंने कोई ब्रह्मांडीय मजाक खोज लिया हो। इस प्रकार वे कई सालो तक यात्रा करते रहे और हँसते रहे। और अपनी हंसी से पूरे चीन में खुशियां बिखेरते रहे।

                  चीन के उत्तरी प्रान्त के एक गॉव में होने के दौरान, उनमें से एक की मृत्यु हो गई। लोग सुनकर चौंक गए और दूर – दूर से घर, खेत को खाली छोड़ कर केवल अन्य दो भिक्षुओं की इस घटना पर प्रतिक्रिया देखने के लिए भागे हुए आये । वे उनसे दु:ख दिखाने या रोने की अपेक्षा कर रहे थे। और सारा गाँव उस स्थान पर आ गया जहाँ तीन भिक्षु थे, दो जीवित और एक मृत। लेकिन शेष दो भिक्षु और जोर से हंस रहे थे, वे हंस रहे थे और हँसी को रोक नहीं पा रहे थे।
कुछ अच्छे लोग जो इस घडी में सहायता कर रहे थे,अविश्वास में उनके पास पहुंचे, और उनसे पूछा कि वे अपने मृत मित्र के लिए शोक क्यों नहीं कर रहे हैं?
एक समय के लिए भिक्षुओं ने जवाब दिया। “क्योंकि कल आपके गाँव के रास्ते में उसने एक शर्त रखी थी, कि हम में से जो अन्य दो को हराएगा और पहले मर जाएगा, और अब वह जीत गया, वो पुराना खिलाडी निकला !
उसने एक वसीयतनामा भी तैयार किया था ” अंतिम संस्कार की चिता पर रखने से पहले मृतकों को धोने और उनके कपड़े बदलने की परंपरा है, लेकिन पुराने भिक्षुओं ने स्पष्ट रूप से पुराने कपड़े उस पर छोड़ने के लिए कहा था, क्योंकि वह एक दिन से कभी गंदा नहीं हुआ था।
                  “मैंने अपनी हंसी के माध्यम से इस दुनिया की किसी भी गंदगी को मुझ तक पहुंचने नहीं दिया” ऐसा उनके वसीयतनामा में कहा गया था।
                  क्यों कुछ लोग ही सफल (success) हो पाते हैं ? पढ़ने के लिए क्लिक करें।
तो उस भिक्षु का शरीर उसी वस्त्र समेत चिता पर रखा गया, जो उसने आने के समय पहिना हुआ था। और जैसे ही आग जली, सभी को विस्मृत करते हुए आग उसके कपड़े पकड़ने लगी, और अचानक सौ रंगों की आतिशबाजी ऊपर-नीचे और चारों दिशाओं में धधक उठी। और अंत में वे लोग जो वहाँ इकट्ठे हुए थे, उन दो बुद्धिमान व्यक्ति की हँसी में भी शामिल हो गए।
हम जीवन में देखें तो, हमारे जीवन में केवल यही कारण हो सकता है कि हम इस धरती पर हैं इसलिए हम हंस सकते हैं, और हंस सकते हैं।
आनंद और हँसी का अनुभव करना कभी बंद न करें, इसलिए अगली बार जब आप किसी समस्या का सामना करें, तो आईने में देखें और समस्या को हँसी से दूर भगाये क्योंकि आपका आनंद ही है जो आपको जीवित बनाता है।
धन्यवाद्।








