भगवान बुद्ध जी की आरती। 1
वो गौतम ज्ञानी, धन्य हो गौतम ज्ञानी ।
जन्म मरण का तुमने भेद लिया जानी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-2
पिता शुद्दोधन माता महामाया रानी।
जन्म लिया लुम्बिनी वन, साक्य मुनि सानी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-2
जग का रण गृह त्यागा, वन की खाक छानी।
दुःख का कारन खोजा, दृढ़ता दी ठानी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-2
तथ्य लोक का समझा, सत्य ही पहचानी।
नाम तथागत तेरा पड़ा ससम्मानी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-2
समता समानता तू शांति मोक्ष दानी।
दुःख हर्ता सुख कर्ता, हर्ता शैतानी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-२
जियो और जीने दो, कहा ये इंसानी।
पर पीणा निज समझो, दुःख भय परेशानी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-२
मन मतंग मतवाला, मेरा तूफानी।
सरण दे श्री गोपाल का, हर लो नगामी।।
धन्य हो गौतम ज्ञानी।-२
वो गौतम ज्ञानी, धन्य हो गौतम ज्ञानी ।।
भगवान बुद्ध जी की आरती। 2
कंचन थाल पंचशील को जलाओ।
गावो रे मन बुद्ध जी की आरती गावो।। – २
जो जन बुद्ध जी की आरती गावे।
सुख संपत्ति जीवन फल पावे।।
सब जन मिल जुल ताली बजावो।
गावो रे मन बुद्ध जी की आरती गावो।। – २
कस्ट मिटेगा हरेंगे दुःख पीरा।
बुद्ध जी के जैसा नहीं कोई जग में हीरा।।
श्रद्धा सुमन अपने मन में सजावो।
गावो रे मन बुद्ध जी की आरती गावो।। – २
अंगुलिमाल डाकू से बन गया भिछु।
जन जन के लोग हुए प्रज्ञा के इच्छु ।।
लेके नाम बुद्ध जी का सफल तुम हो जाओ।
गावो रे मन बुद्ध जी की आरती गावो।। – २