हमें ऐसा प्रभु दो ग्यान, ग्यान सु ग्यान मिले!
हम करे सभी का सम्मान, हमे सम्मान मिले! – २
ओ मात पिता हो मेरे, चाहे हों दीन दुखारी!
चाहे फूलो की बगिया, चाहे खेतो की क्यारी!
उन सबकी जरूरत पर हमारा ध्यान मिले!
हमें ऐसा प्रभु दो ग्यान, ग्यान सु ग्यान मिले!
हम करे सभी का सम्मान, हमे सम्मान मिले! – २
भाषा हो मेरी प्रभु, सदा ही सुख दाई!
भूल से भी ना निकले, किसी की भी बुराई!
इस बिन्दुमुखार से मेरे सबको प्यार मिले!
हमें ऐसा प्रभु दो ग्यान, ग्यान सु ग्यान मिले!
हम करे सभी का सम्मान, हमे सम्मान मिले! – २
अंधे को राह दिखाना, प्यासे की प्यास बुझाना!
अपनों को ना भुलाना, बिछडे को गले लगाना!
हम उनका सहारा बने जो गिरते राह मिले,
हमें ऐसा प्रभु दो ग्यान, ग्यान सु ग्यान मिले!
हम करे सभी का सम्मान, हमे सम्मान मिले! – २
कभी ना हो किसी के भाईयों मे तो लडाई,
बहनो के राखी से तो बधी हो हर कलाई!
उन्हें कडी धूप मे माँ का ऑचल छॉव मिले!
हमें ऐसा प्रभु दो ग्यान, ग्यान सु ग्यान मिले!
हम करे सभी का सम्मान, हमे सम्मान मिले! – २
लेखक सुनील प्रजापति।
सुनील प्रजापति आजमगढ़ जिले के महराजगंज के निवासी हैं वे दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में एक कर्मचारी हैं। वह भूतपूर्व अध्यापक भी रह चुके हैं। कविता, गीत, और कहानिया लिखना उनकी खास रूचि हैं।
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