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मूर्ति का पत्थर। जिंदगी बदलने के लिए दर्द सहो।

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दोस्तों जिंदगी में बहुत बार हम कठिनाईयों को देखकर डर जाते हैं और जो कुछ तकलीफें आती हैं उनका बहाना देकर हम अपना लक्ष्य छोड़ देते हैं।
जिसका परिणाम बहुत ही बुरा होता हैं। हम अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त ही नहीं कर पाते हैं। ऐसी ही एक कहानी लेकर आया हूँ।

एक बार एक मूर्तिकार एक पत्थर को छेनी और हथौड़ी से काट कर मूर्ति का रूप दे रहा था। जब पत्थर काटा जा रहा था, तो उसको बहुत दर्द हो रहा था।
और वो पत्थर मूर्तिकार के सामने रोने लगा। मूर्तिकार ने पूछा क्यों रो रहे हो भाई, मैं तो तुम्हे भागवान का रूप दे रहा हु, आज तुम ये दर्द बर्दास्त कर लोगे तो लोग कल तुम्हे पूजेंगे।

पत्थर बोला नहीं मुझे दर्द हो रहा है। प्लीज मुझे छोड़ दो।

मूर्तिकार ने उस पत्थर को वही रास्ते में छोड़ दिया और बगल में पड़ा दूसरा पत्थर उठाया और उसकी मूर्ति बना डाली। दूसरे पत्थर ने दर्द बर्दास्त कर किया, और वो भागवान की मूर्ति बन गया।
लोग रोज उसे माला फूल चढाने लगे।

murti ka patthar

और लोगो ने रास्ते में पड़े उस पत्थर को (जिसने दर्द बर्दास्त नहीं किया था) लाकर उसी मंदिर में रख दिया, ताकी ये नारियल फोड़ने के काम आएगा।

जिस पत्थर ने एक बार दर्द बर्दास्त नहीं किया, आज वो जिंदगीभर दर्द बर्दास्त कर रहा है। और जिसने सही वक़्त पर एक बार दर्द बर्दास्त करना सही समझा वो तो भगवान् बन गया। आज उसके ऊपर माला फूल चढ़ाया जाता हैं।

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दोस्तों हमारे लिए ये सही समय है, हमें निर्णय लेने के लिए। की, हमें आज दर्द बर्दास्त करनी है या जिंदगी भर दर्द बर्दास्त करनी है। जो लोग खुद का लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाते हैं, वो हमेशा पश्चाताप करते हैं।
क्यों की उन्हें जिंदगी भर दुसरो के हिसाब से जीना पड़ता हैं ।

इसलिए अपना कोई न कोई लक्ष्य जरूर बनायें। फैसला आपका होगा तो मंजिल भी आपकी ही होगी। और हमें तब तक ये दर्द बर्दास्त करनी है जबतक की हम अपने लक्ष्य को प्राप्त न करलें ।

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धन्यवाद्।

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