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भगवान की खोज !

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दोस्तो,
एक बार संत नामदेव अपने शिष्यों को ज्ञान और भक्ति का उपदेश दे रहे थे। तभी सुनाने वालों में बैठें किसी शिष्य ने प्रश्न किया। गुरुवर हमें बताया जाता हैं कि ईश्वर हर जगह मौजूद हैं पर
यदि ऐसा हैं तो वो हमें कभी दिखाई क्यों नहीं देतें। हम कैसे मान लें कि वो सचमुच हैं और यदि वो हैं तो हम उसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं। संत नामदेव मुस्कुराये और एक शिष्य को एक लोटा पानी व थोड़ा सा नमक लाने के लिए कहा। शिष्य तभी दोनों चीजों को लेकर आया।

वहाँ बैठें सब लोग सोच रहे थे कि भला इन चीजों का इस प्रश्न से क्या संबंध। तभी संत नामदेव ने उस शिष्य से कहा पुत्र तुम नमक को लोटे में डालकर मिला दो,शिष्य ने वैसा ही किया। तब संत बोले कि बताओ क्या इस पानी में किसी को नमक दिखाई दे रहा हैं सब ने, नहीं में सिर हिला दिया। ठीक हैं अब कोई जरा इसे चखकर देखें। क्या चखने में नमक का स्वाद आ रहा हैं। संत ने पूछा एक शिष्य ने पानी चखा, और कहा जी हाँ, नमक का स्वाद तो आ रहा हैं। तब संत ने कहा ठीक हैं।

अब जरा इस पानी को कुछ देर उबालो कुछ देर तक पानी उबलता रहा और जब सारा पानी भाप बनकर उड़ गया, तो संत ने फिर शिष्य को लोटे में देखने को कहा, क्या अब आपको इसमें कुछ दिखाई दे रहा है, जी हमे नमक के कुछ कण दिखाई दे रहे है। एक शिष्य बोला, संत मुस्कुराए और समझाते हुए बोले जिस प्रकार तुम पानी में नमक का स्वाद तो अनुभव कर पाए पर उसे देख नहीं पाए। उसी प्रकार इस संसार में तुम्हें ईश्वर हर जगह दिखाई नहीं देते पर तुम उन्हें अनुभव कर सकते हो।

कर्मो का फल कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें।

जिस तरह आग की तपिश में पानी भाप बनकर उड़ गया और नमक दिखाई देने लगा। उसी तरह तुम भी भक्ति, ज्ञान और अच्छे कर्मों के द्वारा अपनी सभी बुराईयों का अंत कर भगवान को प्राप्त कर सकते हो। अपनी सच्ची लगन से इस दुनिया में सब कुछ पाना संभव है तो फिर भगवान क्यों नहीं।

इसलिए दोस्तों सच्चे मन से और साफ नियत से अपने सभी काम करते चले, क्योंकि नामुमकिन कुछ भी नहीं है अगर हम सच्चे मन से और सच्ची श्रद्धा से कोई भी काम करते हैं तो उसमे भगवान भी हमारा साथ देते हैं जो प्राप्त हैं वही पर्याप्त हैं।

धन्यवाद ।

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