भारत में अब लोग अच्छे रिटर्न प्राप्त करने के लिए निवेश के नए नए साधन को अपनाने लगे हैं, उसी में से एक लोकप्रिय साधन है म्यूच्यूअल फंड जिसमे लोग एक मुस्त या फिर SIP के द्वारा निवेश करके अच्छे रिटर्न प्राप्त कर रहे हैं।
यदि आप म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करते हैं या इसमें रूचि रखते हैं तो आपने एसेट मैनेजमेंट कंपनी के बारे में ज़रूर सुना होगा. आज हम इस लेख में आपको बताएँगे:
- एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) क्या होती है?
- कैसे काम करती है?
- म्यूच्यूअल फंड कंपनी और एसेट मैनेजमेंट कंपनी में क्या अंतर होता
है? - एक सही एसेट मैनेजमेंट कंपनी आप को किस प्रकार के लाभ पंहुचा सकती है?
एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) क्या है ?
एसेट मैनेजमेंट कंपनी या संपत्ति प्रबंध कंपनी अपने नाम के अनुरूप आपके द्वारा निवेशित संपत्ति का प्रबंधन करती है.
ऐसी कम्पनिया विभिन्न निवेशकों के द्वारा पूल किए गए फंडों को विभिन्न प्रतिभूतियों जैसे इक्विटी, बांड, गोल्ड EFT, डिबेंचर्स आदि में निवेशित करती हैं तथा इस निवेश से मिलने वाले रिटर्न को निवेशकों में उनकी खरीदी गयी फंड यूनिट्स के अनुसार बाँट देती हैं।
वर्तमान में भारत में लगभग 44 एसेट मैनेजमेंट कम्पनिया कार्यरत हैं। सब मिल कर लगभग 14000 निवेश स्कीम चला रही हैं। जून 2020 तक AMFI INDIA की वेबसाइट के अनुसार
सभी AMC को मिला के लगभग 25.49 लाख करोड़ रूपए का निवेश लोगों द्वारा इन कंपनियों में किया गया है।
एसेट मैनेजमेंट कंपनी तथा म्यूच्यूअल फंड कम्पनी में क्या अंतर है?
कई लोगो के मन में सवाल होता है की एसेट मैनेजमेंट कंपनी तथा म्यूच्यूअल फंड कम्पनी में क्या अंतर और जब हम म्यूच्यूअल फंड में निवेश करते है तो हमारा पैसा कहाँ निवेशित होता
है। अगर आप के मन में भी ऐसा कोई सवाल है तो आप को जानकर आश्चर्य होगा की दोनों में कोई अंतर नहीं है एसेट मैनेजमेंट कम्पनिया ही म्यूच्यूअल फंड को मैनेज करती है इसलिए
उन्हें म्यूच्यूअल फंड कम्पनी भी कहा जाता है।
एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी में कई सारे म्यूच्यूअल फंड्स होते हैं, जिनमे हमारे जैसे निवेशक निवेश करते हैं. हमारे फंड को मैनेज करने के लिए AMC एक फंड मैनेजर नियुक्त करती है। फण्ड मैनेजर तय करता है कि पैसा कहाँ और किस तरह से निवेश करना है जिससे इन्वेस्टर्स को अधिक से अधिक लाभ हो सके. इस बारे में आगे विस्तार से बताया जाएगा.
एसेट मैनेजमेंट कंपनी अलग-अलग टाइम पर निवेश के उद्देश्य के अनुसार नए-नए फंड लेकर आती रहती हैं, आप अपने फाइनेंसियल गोल्स को इनके जिरए पूरा कर सकते हैं.
भारत में कार्यरत एसेट मैनेजमेंट कंपनी तथा उनका इतिहास
भारत में म्यूच्यूअल फंड की शुरुवात 1963 में हुई जब यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) का गठन हुआ था जो भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ मिलके शुरू किया था।
इस काल को म्यूच्यूअल फंड का फर्स्ट जनरेशन भी कहा जाता है इसके बाद 1978 में RBI ने यूटीआई के एक अधिकार को तोड़ते हुए औद्योगिक विकास बैंक ऑफ इंडिया (IDBI) को
भी म्यूच्यूअल फंड मैनेजर के रूप में सम्मलित किया।
इसके बाद वर्ष 1987-1993 म्यूच्यूअल फंड के दूसरे चरण यानि सेकंड जनरेशन की शुरुवात हुई. इसमें RBI ने सार्वजानिक क्षेत्र के संसथान जैसे एसबीआई म्यूचुअल फंड तथा एलआईसी म्यूचुअल फंड, कैनरा बैंक म्यूचुअल फंड, इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड, जीआईसी म्यूचुअल फंड, बैंक ऑफ इंडिया म्यूचुअल फंड और पीएनबी म्यूचुअल को भी शामिल किया गया।
1993-1996 तीसरा चरण यानि थर्ड जनरेशन शुरू जिसमे कई विदेशी कंपनियों को भी जोड़ा गया.
इसके बाद 1996 – 2003 तक इसका चौथा चरण यानी फोर्थ जनरेशन शुरू हुआ इसमें भारत सरकार ने म्यूच्यूअल फंड क्षेत्र में बड़े बदलाब किये तथा इसके लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एम्फी) जैसे बड़े नियामकों को गठन किया।
2004 से आज तक का समय पांचवा चरण यानी फिफ्थ जनरेशन कहलाता है इसमें म्यूच्यूअल फंड में क्रन्तिकारी तेजी आई क्योंकि लोग म्यूच्यूअल फंड के बारे में अब समझने लगे हैं और इसमें अपना पैसा निवेश कर रहे हैं।