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मकर संक्रान्ति क्या है ? What is maker Sankranthi ?

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मकर संक्रान्ति पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्यौहार है। इसे हिंदुस्तान के अलग अलग हिस्सों में अलग – अलग नामो से मनाया जाता है।

इसे उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति या खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। पंजाब में लोहड़ी के नाम से मनाया। जाता है। वही तमिलनाडु में पोंगल के नाम से तो असम में बीहू के नाम से मनाया जाता है। और गुजरात में उत्तरायण के नाम से, जबकि हमारे पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश में भी यह अलग अलग नामो से मनाया जाता है। यह १४ जनवरी को हर साल मनाया जाता है। इस दिन सब अपने अपने रीति रिवाज के हिसाब से इस त्योहार को मनाते हैं। इसी दिन के बाद से दिन बड़ा होने लगता है, इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है, इसीलिए इसे मकर संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है। जबकि सबसे बड़ा दिन 21 जून को ही होता है।


मकर संक्रान्ति कैसे मनाते है?

मकर संक्रान्ति मनाने वाले इस दिन सुबह फ़्रेश होने के बाद स्नान कर के सूर्य भगवान की आराधना करते है। उन्हें उरद की खिचड़ी और लायी, चिवडा, रेवडा, भेली इत्यादि का भोग लगाते है। और तिल गुड के लड्डू भी खाते हैं। फिर प्रसाद ग्रहण करके भोजन करते है। और नए नए कपड़े पहनते हैं। इसके अलावा भी घर में बहुत सारा पकवान बनता है, सब लोग उसका आनंद उठाते हैं। उसके बाद पतंग उड़ाते हैं। इस प्रकार पूरा दिन व्यतीत करते हैं। ये सिर्फ़ उत्तर भारत में मनाते हैं। बल्कि अन्य राज्यों में अलग – अलग तरीक़ों से मनाया जाता है। इस दिन किसी नदी के जल में नहाने की मान्यता है। इसकी वजह से लोग नदी में स्नान करते है। जो नहीं जा पाते हैं वो पानी में गंगाजल डाल के भी स्नान कर लेते हैं।

पोंगल (Pongal) क्या है? और इसे कैसे मनाते हैं?

इस त्योहार को आस्था और सम्पन्नता से जुड़ा एक त्यौहार माना जाता है। इसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा और धूप की पूजा होती है। भारत के अलावा इसे श्रीलंका माँरिसस, कनाड़ा और सिंगापुर में भी मनाया जाता है। यानी की जहाँ कही भी दक्षिण भरतिय लोग रहते है, वे वहाँ इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार तमिल महीने की 1 तारीख़ को मनाया जाता है।
इसमें भगवान को जो भोग लगाया जाता है उसे पगल कहा जाता है। इसका मतलब होता है अच्छी तरह से उबालना। दूध चावल घी सक्कर को अच्छी तरह से उबाल कर सूर्य देव को भोग लगते हैं। इसी दिन तमिल नव वर्ष को भी सूरूवात होती है। इसके बाद दूसरे दिन लक्ष्मी पूजा भी होती है। इस दिन लोग नए नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों को सजाते हैं, तथा एक दूसरे के घर पोंगल और मिठायी भेजवाते हैं।

लोहड़ी (Lohari)क्या है? इसे कैसे मनाते हैं?

लोहड़ी का त्यौहार, जो मुख्य रूप से पूरे भारत में सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक है और पारंपरिक रूप से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य का स्वागत करने के लिए माना जाता है। यह मकर संक्रांति से एक रात पहले मनाया जाता है। इस अवसर में प्रसाद के साथ आग के चारों ओर एक पूजा परिक्रमा शामिल होती है। यह त्योहार बड़े ही धूमधाम और बाजे ढोल के साथ मनाया जाता है, खासकर उत्तर भारतीय क्षेत्र में। वर्ष के पहले हिंदू त्योहारों में से एक, इसे अनिवार्य रूप से किसानों का त्योहार, फसल का त्योहार कहा जाता है, जिससे किसान सर्वोच्च होने का शुक्रिया अदा करते हैं। पारंपरिक लोक गीतों, नृत्य और भोजन के बीच रबी फसलों के शानदार मोती देखने का आनंद लोहड़ी फैलाने का एक तरीका है। इस त्योहार में लोग तिल मूँग फली को आग में जला के मनाते हैं।

इस प्रकार इस त्योहार का हर एक राज्य में अपनी परंपरावों के अनुसार बड़ा ही महत्व है। और हम सब इसे अपने अपने तरीक़े से मनाते हैं।

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