चंद महिने बाकी हैं बनकर DSP लौटूंगा

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हेलो दोस्तों, यह मोटिवेशनल कविता सभी संघर्षशील विद्यार्थियों के लिए समर्पित…

आना जाना छोड़ चुके, पर्वों से नाता तोड़ चुके।
रखकर पत्थर अपने दिलों पर, घर से मुख मोड़ चुके !

किसका दिल करता है यारों घर का सुख चैन गँवाने को,
फिर भी घर हम छोड़ आये जीवन सफल बनाने को!

नैन में माँ के बसता सपना मैं अब काबिल बन जाऊँ,
कर-कर चिंता बूढ़ी हो गयी कभी तो खुशियाँ दिखलाऊँ।

बाप से मेरे चला न जाता फिर भी काम को जाता है,
और मेरा खर्चा भेजवाने को रोज कमाकर लाता है!!

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छत वो घर की टपक रही है जिसमें नीचे सोते हैं,
जब जब बाहर हुआ मेरिट से मुझसे ज्यादा रोते हैं।

पता है हमको पता है तुमको मेहनत में मेरी कमी नहीं
और वो जीवन क्या जीवन यारों जिसमें किस्मत से ठनी नहीं!

माना चलती कठिन परिक्षा में मेहनत मेरी हथियार है,
गुरुओं से लेकर दीक्षा अर्जुन भी रण को तैयार है!
सब्र का मैया बाँध न टूटे गला किस्मत का घोटूँगा,
चंद महिने बाकी हैं बस बन #DSP लौटूंगा!!!!

यह एक पाठक की लिखी हुयी रचना है, अगर आपकी कोई रचना हो तो हमें ईमेल करें।
धन्यवाद् ।
ॐ की महिमा (Power of OM)

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